Fly Ash Bricks Manufacturing bnane ka Business/, फ्लाई ऐश ईटें बनाने का बिजनेस। प्रक्रिया, निर्माण विधि, लागत, कमाई। #Storiesviewforall

Fly Ash Bricks Manufacturing bnane ka Business/, फ्लाई ऐश ईटें बनाने का बिजनेस। प्रक्रिया, निर्माण विधि, लागत, कमाई। #Storiesviewforall

दुनिया के बाज़ारों में भारत चीन के बाद सबसे बड़ा ईट उत्पादन करने वाला देश है यही कारण है की यहाँ Fly ash Bricks Manufacturing के व्यवसाय में भी बीते कुछ वर्षों में अभूतपूर्व वृद्धि देखने को मिली है। यही कारण है की ईट उद्योग भी इच्छुक उद्यमियों के लिए एक अवसर के तौर पर सामने आया है। वैसे देखा जाय तो ईटों की आवश्यकता लगभग हर निर्माण कार्य के लिए लोगों को पड़ती रहती है शायद यही कारण है की इस व्यवसाय से लोगों की आशाएं अधिक जुड़ी होती हैं। लेकिन ईटों का अधिकतर उत्पादन भारत में असंगठित क्षेत्रों द्वारा किया जाता है और इस व्यवसाय में प्रतिस्पर्धा भी बहुत अधिक देखने को मिलती है।

Fly Ash Bricks Manufacturing bnane ka Business
                                       Fly Ash Bricks Manufacturing bnane ka Business

लेकिन प्रतिस्पर्धा होने के बावजूद भी इसकी मांग में कहीं से कहीं तक कमी नहीं देखी जा सकती यही कारण है की यही कारण है फ्लाई ऐश ईटों  एवं Hollow Block की मांग भी लगातार बढती जा रही है और आने वाले भविष्य में निर्माण कार्यों की संभावना को देखते हुए इसके और बढ़ने के आसार लगाये जा सकते हैं। हालांकि इसमें कोई दो राय नहीं की वर्तमान में विभिन्न प्रकार की ईटों जैसे Mud Brick, Clay Bricks  इत्यादि को भी कंस्ट्रक्शन कार्यों के निर्माण में उपयोग में लाया जाता है।

लेकिन चूँकि Fly Ash Bricks में अन्य की तुलना में संरचनात्मक भार उठाने एवं सहन करने की अधिक क्षमता होती है इसलिए जहाँ पर अधिक भार पड़ने की संभावना होती है उनमें फ्लाई ऐश ईट का ही इस्तेमाल किया जाता है। यही कारण है की वर्तमान में चिनाई निर्माण के कार्यों में इसकी भी प्रमुख भूमिका है। इसलिए आज हम इस पोस्ट में इसी विषय पर वार्तालाप करने का प्रयास कर रहे हैं और जानने की कोशिश कर रहे हैं की कैसे कोई व्यक्ति खुद का फ्लाई ऐश ईट बनाने का बिजनेस शुरू कर सकता है।

फ्लाई ऐश ईटों का परिचय

फ्लाई ऐश की यदि हम बात करें तो यह इलेक्ट्रिक पॉवर जनरेटिंग प्लांट्स में पल्सवराइज्ड कोयले को जलाने से उत्पादित एक उत्पाद है। कोयले के दहन के दौरान उससे विभिन्न खनिज अशुद्धियाँ जैसे मिटटी, फेल्डस्पार, क्वार्ट्ज, और शेल निलम्बन में फ्यूज हो जाती हैं और दहन कक्ष से गैसों के साथ बाहर निकल जाती हैं।

और यही फ्यूज सामग्री ठंडा होने के बाद फ्लाई ऐश के नाम से जानी जाती है। हालांकि फ्लाई ऐश का पाउडर सीमेंट की तरह ही दिखता है लेकिन रासायनिक रूप से यह अलग होता है। चूँकि इस तरह की ईटों का निर्माण फ्लाई ऐश को प्रमुख तौर पर कच्चे माल के रूप में इस्तेमाल करके किया जाता है इसलिए इस प्रक्रिया के तहत निर्मित ईटों को फ्लाई ऐश ब्रिक  कहा जाता है। वैसे फ्लाई ऐश को हम कोयले या खनिज अशुद्धियों की राख भी कह सकते हैं।

इस तरह की ईट का इस्तेमाल भी आम चिकनी मिटटी से निर्मित ईटों की तरह ही चिनाई निर्माण में किया जा सकता है।

हमारे देश भारतवर्ष में भी इस तरह की ईटों का निर्माण काफी पहले से शुरू हो चूका है और यह समय के साथ साथ आगे बढ़ता जा रहा है क्योंकि चिकनी मिटटी से निर्मित ईटों की तुलना में इसके अनेकों फायदे होते हैं।

फ्लाई ऐश ईटों के फायदे (Advantages of Fly Ash Bricks)

फ्लाई ऐश ईटों को लोगों द्वारा काफी पसंद किया जा रहा है इसलिए इनका इस्तेमाल कंस्ट्रक्शन के कामों में बीतते समय के साथ बढ़ा ही है। इनकी मांग एवं उपयोग बढ़ने के पीछे कुछ कारण भी हैं जिनकी लिस्ट कुछ इस प्रकार से है।

  • फ्लाई ऐश की ईटें आम ईटों की तुलना में अधिक क्षेत्र को कवर करती हैं यानिकी यदि आप हज़ार क्ले ईटें इस्तेमाल में लाते हैं और उसी जगह पर यदि आप हज़ार ईटें फ्लाई ऐश की इस्तेमाल में लायेंगे तो आप पाएंगे की वे अधिक क्षेत्र को कवर कर सकती हैं।
  • फ्लाई ऐश ईटों में आग से लड़ने की अधिक क्षमता होती है इसलिए इनमें आग जल्दी से पकड़ने की संभावना नहीं होती है।
  • चूँकि ये आम ईटों की तुलना में अधिक मजबूत होती हैं इसलिए ट्रांसपोर्टेशन प्रक्रिया में इनके टूटने का खतरा नहीं होता है।
  • लगभग सभी फ्लाई ऐश ईटे  समान होती हैं यही कारण है की चिनाई के दौरान इन्हें जोड़ने में इस्तेमाल में लाये जाने वाले प्लास्टर इत्यादि में 50% तक की कमी देखी जा सकती है।
  • इन ईटों में पानी प्रवेश करने की जरां भी संभावना नहीं होती जिसके कारण जहाँ इनका इस्तेमाल होता है वहां पर पानी लीकेज इत्यादि समस्याओं से बचा जा सकता है।
  • इन ईटों पर बिना चुने के प्लास्टर के जिप्सम प्लास्टर अप्लाई किया जा सकता है।
  • इन ईटों को उपयोग से पहले चौबीस घंटे पानी में भिगोने की आवश्यकता नहीं होती है बल्कि इनके ऊपर केवल पानी का छिड़काव कर देना ही काफी रहता है।
  • यह  लाल मिटटी के ईटों की तुलना में अच्छा थर्मल इंसुलेशन प्रदान करती हैं यही कारण है की इनमें अधिक भार सहन करने की क्षमता होती है। 

फ्लाई ऐश ईट बनाने का व्यवसाय कैसे शुरू करें? (How to Start Fly Ash Brick Manufacturing)

फ्लाई ऐश ईट बनाने का व्यवसाय शुरू करने वाले उद्यमी को इस बात का विशेष ध्यान रखना होगा की इस व्यवसाय को शुरू करने में सबसे बड़ा संसाधन जमीन है।

अर्थात ऐसी जगह जहाँ से उद्यमी स्वयं का Fly Ash Brick Manufacturing Business संचालित करेगा इसके लिए उद्यमी को थोड़ी बड़ी सी जगह 1100-2000 Square Feet जगह की आवश्यकता हो सकती है।

जहाँ तक मशीनरी का सवाल है बाजार में मशीनरी उसकी उत्पादन क्षमता के आधार पर उपलब्ध है अलग अलग उत्पादन क्षमता के आधार पर मशीनों की अलग अलग कीमत निर्धारित है।

तो आइये जानते हैं की इस तरह का यह बिजनेस शुरू करने के लिए उद्यमी को कौन कौन से कदम उठाने की आवश्यकता हो सकती है।

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लोकेशन का चयन करें

इस व्यवसाय को शुरू करने के लिए भी सबसे पहले लोकेशन का चयन करने की आवश्यकता होती है। हालांकि इस बिजनेस को शुरू करने के लिए यह तो जरुरी नहीं है की उद्यमी किसी भीड़ भाड़ वाली या स्थानीय मार्किट का ही चयन करे बल्कि वह चाहे तो अपनी टारगेट मार्किट के तकरीबन 20-30किलोमीटर के रेडियस में कहीं भी अपनी फैक्ट्री स्थापित कर सकता है।

ध्यान रहे शुरूआती दौर में लोकेशन टारगेट मार्किट से बहुत अधिक दूरी पर भी नहीं होनी चाहिए क्योंकि वहां से टारगेट ग्राहकों तक ईट पहुँचाने में दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है।

और इन ईटों  को ग्राहकों तक पहुँचाने में अधिक ट्रांसपोर्टेशन लागत आने के कारण उनकी कीमत बढ़ सकती है और ईटों का मूल्य प्रतिस्पर्धी मूल्य से अधिक हो सकता है। इसलिए उद्यमी को टारगेट मार्किट से 20-30 किलोमीटर के इर्द गिर्द ही लोकेशन का चयन करना उचित हो सकता है।     

जमीन का प्रबंध करें

फ्लाई ऐश ईटें बनाने का बिजनेस  शुरू करने के लिए जमीन बेहद महत्वपूर्ण एवं आवश्यक संसाधन है अन्य बिजनेस की तुलना में इसे शुरू करने के लिए थोड़ी अधिक जमीन की आवश्यकता होती है।

उद्यमी को कम से कम ग्यारह बारह सौ स्क्वायर फीट जगह की आवश्यकता होगी जिसमें ईट बनाने के अलावा उन्हें उचित ढंग से रखने का भी प्रबंध किया जाना बेहद आवश्यक है।

और ध्यान रहे जमीन के अलावा उद्यमी को आधारभूत सुविधाओं जैसे बिजली पानी इत्यादि की उपलब्धता के बारे में भी सतर्क रहना चाहिए।

क्योंकि इस तरह के व्यापार में पानी की बहुत अधिक आवश्यकता होती है या यूँ कहें की पानी को भी एक कच्चे माल के तौर पर इस व्यवसाय में उपयोग में लाया जाता है।     

आवश्यक लाइसेंस एवं पंजीकरण प्राप्त करें

वैसे देखा जाय तो भारत में ईट उद्योग अधिकतर असंगठित है यानिकी अधिकतर ईटों का निर्माण असंगठित औद्योगिक इकाइयों द्वारा किया जाता है।

लेकिन उद्यमी चाहे तो खुद की कंपनी रजिस्टर करके भी यह बिजनेस शुरू कर सकता है और यदि उद्यमी ऐसा नहीं करता है तो वह स्थानीय प्राधिकरण इत्यादि से ट्रेड लाइसेंस लेकर भी इस व्यवसाय को शुरू कर सकता है।

लेकिन चूँकि ईटों का इस्तेमाल निर्माण कार्यों में होता है इसलिए इनकी गुणवत्ता के साथ समझौता नहीं किया जाना चाहिए। और हो सकता है की BIS द्वारा इनकी गुणवत्ता को लेकर कुछ मानक निर्धारित किये गए हों।

इसलिए इस तरह की ईटों का  बिजनेस करने वाले उद्यमी को निर्धारित मानकों के अनुरूप ही ईटों का निर्माण करना चाहिए। उद्यमी चाहे तो उद्योग आधार रजिस्ट्रेशन भी करा सकता है जिससे वह अपनी ईटों को सरकारी एजेंसीयों को भी बेच पाने में सफल हो पायेगा।

इसके अलावा जीएसटी रजिस्ट्रेशन, चालू बैंक खाता इत्यादि भी बेहद जरुरी हो जाता है।     

कच्चे माल सप्लायर का चुनाव करें  

यह  बिजनेस शुरू करने में प्रमुख तौर पर फ्लाई ऐश का इस्तेमाल कच्चे माल के तौर पर होता है। इसके अलावा जिप्सम, चूना, बजरी, रेता इत्यादि का भी इस्तेमाल सहायक कच्चे माल के तौर पर होता है।

कहने का आशय यह है की इस प्रकार की ईटों का निर्माण फ्लाई ऐश, जिप्सम, चूना, बजरी, रेता इत्यादि के मिश्रण को तैयार करके किया जाता है। इसलिए उद्यमी को लगभग लगभग 250 किलोमीटर के रेडियस में ही कच्चे माल के सप्लायर का चुनाव करना उचित होगा।

क्योंकि इससे अधिक दूरी परिवहन लागत को बहुत अधिक बढ़ा देगी जिसके कारण कच्चे माल को खरीदने में आने वाली लागत अधिक हो जाएगी।

इसलिए उचित तो यही रहेगा की उद्यमी किसी स्थानीय सप्लायर से ही कच्चा माल ख़रीदे लेकिन चूँकि आम तौर पर फ्लाई ऐश हर जगह उपलब्ध नहीं होती इसलिए उद्यमी को 200-250 किलोमीटर दूर से भी कच्चा माल मँगवाना पड़ सकता है।      

मशीनरी की खरीदारी करें

जैसा की हम पहले भी बता चुके हैं की फ्लाई ऐश ईटों का निर्माण शुरू करने के लिए इस्तेमाल में लायी जाने वाली मशीन उसकी उत्पादन क्षमता के आधार पर अलग अलग हो सकती है। और उत्पादन क्षमता के आधार पर ही उनकी कीमत भी घट बढ़ सकती है।

यानिकी जिस मशीन की उत्पादन क्षमता अधिक होगी उसकी कीमत भी अधिक होगी और जिस मशीन की उत्पादन क्षमता कम होगी उसकी कीमत भी कम होगी। इसलिए उद्यमी को अपनी योजना एवं बजट के अनुरूप ही मशीनरी का चयन करना चाहिए।

मशीन खरीदने से पहले उद्यमी चाहे तो विभिन्न विक्रेताओं से कोटेशन मंगा सकता है और फिर उनका तुलनात्मक तौर पर विश्लेषण करने के पश्चात इस बात का निर्णय ले सकता है की उसे कौन सी मशीनरी खरीदनी है।

इसके अलावा उद्यमी को मिक्सचर मशीन भी खरीदने की आवश्यकता होती है जो सभी कच्चे माल का मिक्सचर तैयार करके ईट बनाने के लिए कच्चा माल तैयार करने में मदद करेगी।     

कर्मचारियों की नियुक्ति करें  

इस तरह का बिजनेस  शुरू करने के लिए उद्यमी को कर्मचारियों को नियुक्त करने की भी आवश्यकता होगी। क्योंकि यह व्यवसाय ऐसा ही है की उद्यमी को एक नहीं बल्कि अनेकों मजदूरों एवं कर्मचारियों की आवश्यकता इसे संचालित करने के लिए होगी ।

निर्मित ईटों को ईधर उधर ढोने एवं ट्रक इत्यादि में भरने के लिए भी विभिन्न कर्मचारियों की आवश्यकता होगी इसके अलावा मशीन ऑपरेटर, क्वालिटी चेकर, प्लांट मेनेजर, चपरासी इत्यादि की भी आवश्यकता होगी।

वैसे देखा जाय तो उद्यमी को अकुशल श्रमिकों की संख्या अधिक चाहिए होगी । जबकि अन्य कार्यों के लिए प्रत्येक विभाग में एक या दो कर्मचारियों से ही काम चलाया जा सकता है। 

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ईटों का निर्माण कार्य शुरू करें  

Fly Ash manufacturing प्रक्रिया में फ्लाई ऐश (70%), जिप्सम (5%), चूना (10%), रेता (15%)  लेकर इसे मैन्युअली अच्छे ढंग से एक बड़े बर्तन में मिलाया जाता है। और फिर इसमें सजातीय मिश्रण प्राप्त करने के लिए उसी अनुपात में पानी डाला जाता है।

हालांकि कच्चे माल का अनुपात उसकी गुणवत्ता के आधार पर अलग अलग भी हो सकता है मिश्रण तैयार होने के बाद मिश्रण को कन्वेयर बेल्ट की मदद से आटोमेटिक ब्रिक मशीन तक पहुंचाया जाता है।

जहाँ ब्रिक मशीन में बने सांचों के अनुरूप इन्हें दबाया जाता है और ईट का आकार दिया जाता है। यदि उद्यमी के पास ईट बनाने वाली मशीन न हों तो यही काम सांचों की मदद से मैन्युअली भी किया जा सकता है लेकिन इसमें उत्पादन क्षमता पर असर पड़ेगा।

ईट का आकार बन जाने पर इन्हें लकड़ी के पट्टियों पर रखा जाता है जहाँ इन्हें दो दिनों तक सूखने के लिए रखा जाता है उसके बाद इन्हें किसी खुले क्षेत्र में ले जाकर 10-15 दिनों के लिए रखा जाता है ताकि ये अच्छे ढंग से तैयार हो जाएँ।  और डिस्पैच करने से पहले ईटों की छंटाई की जाती है।   

फ्लाई ऐश इटें बनाने का बिजनेस शुरू करने में खर्चा

फ्लाई ऐश ईटें बनाने का बिजनेस शुरू करने में आने वाला खर्चा कुछ इस प्रकार से हो सकता है।

खर्चे का विवरण खर्चा रुपयों में
लगभग 10000 वर्ग फीट जमीन जमीन उद्यमी की खुद की मान लेते हैं
बिल्डिंग और सिविल वर्क करने में खर्चा ₹12 लाख
मशीनरी और उपकरणों पर आने वाला खर्चा ₹16 लाख
फर्नीचर और फिक्सिंग ₹1 लाख
सैलरी, कच्चा माल सहित कार्यशील लागत ₹8 लाख
कुल लागत ₹37 लाख
Investment in Fly Ash Bricks Manufacturing Business

हालांकि फ्लाई ऐश ईटें बनाने का बिजनेस शुरू करने में आने वाली लागत पूर्ण रूप से इस बात पर निर्भर करती है की उद्यमी एक दिन में कितनी फ्लाई ऐश ईटों का निर्माण करना चाहता है ।

यदि उद्यमी के दिन में लगभग 16000 फ्लाई ऐश ईटों का निर्माण करना चाहता है, तो उसे लगभग ₹37 लाख तक का खर्चा करने की आवश्यकता हो सकती है , जिसमें जमीन का खर्चा शामिल नहीं है।   कमाई की बात करें तो इस बिजनेस (Fly Ash Bricks Manufacturing) से पहले ही साल लगभग ₹5 लाख तक का शुद्ध मुनाफा कमाया जा सकता है।