अबुल कलाम आजाद का जीवन परिचय | ABUL KALAM AZAD BIOGRAPHY IN HINDI 2024

Abul Kalam Azad Biography In Hindi: मौलाना अबुल कलाम आजाद यह वह नाम है जिन्होंने भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में महात्मा गांधी का सहयोग किया. मक्का में जन्मे भारतीय सच्चे मुसलमान के रूप में जाने गये. जिन्होंने पाकिस्तान निर्माण का विरोध भी किया. सच्चे देशभक्त व स्वतंत्रता सेनानी होने के साथ  साथ अबुल कलाम आजाद उच्च कोटि के विद्वान्, कवि, शिक्षाविद भी थे. भारत की आजादी के बाद इन्हें भारत का पहला शिक्षा मंत्री भी बनाया गया. भारतरत्न सम्मानित अबुल कलाम आजाद के बारे में यहाँ विस्तार से जानेगे.

अबुल कलाम आजाद का जीवन परिचय Abul Kalam Azad Biography In Hindi
अबुल कलाम आजाद का जीवन परिचय | Abul Kalam Azad Biography In Hindi
अबुल कलाम आजाद का शुरूआती जीवन (Early life of Abul Kalam Azad)

इनका जन्म मक्का में हुआ और किशोरावस्था के कई वर्ष मक्का में ही बिताएं. अरबी, फ़ारसी अपने पिता से पढ़ी और बाल्य काल से ही असाधारण ज्ञान प्राप्त कर लिया. केवल 12 वर्ष की आयु में एक पत्रिका कलकत्ता से निकाली और 1902 में पत्र पत्रिकाओं में इनके लेख छपने लगे. इनका परिवार कट्टर इस्लामिक विचारों से प्रेरित था, जिसका असर कलाम की शुरूआती शिक्षा और पालन पोषण पर भी पड़ा. इन्हें बचपन में मौलाना द्वारा धार्मिक शिक्षा दी गई.

घर पर ही इनकी शिक्षा का प्रबंध किया गया. इस दौरान मौलाना आजाद ने अरबी, फ़ारसी, फिलोसोफी, ज्यामिति और बीज गणित का ज्ञान प्राप्त किया.

मौलाना आजाद की रूचि पढ़ने लिखने में अधिक थी, वे मन लगाकर विषयों के गहन अध्ययन में रूचि रखते थे. जैसे जैसे उम्र बढ़ती गई इनके इल्म का दायरा भी बढ़ता गया.

कलाम ने बड़े होकर बंगाली और उर्दू भाषा सीखी. विश्व इतिहास और राजनीति का स्व अध्ययन से ज्ञान प्राप्त किया. इस्लामिक शिक्षा के लिए आवश्यक सभी ट्रेनिंग पूरी कर ये एक मौलवी भी बन गये.

राजनीतिक जीवन (Political career of Abul Kalam Azad)

1902 में ही कलकत्ता से ही एक साहित्यिक पत्रिका लिसानुस सिदक निकाली. 1905 में लखनऊ की प्रसिद्ध पत्रिका अन नदवा के सम्पादक नियुक्त हुए. दो वर्ष बाद अमृतसर चले गये और वहां वकील के संपादक नियुक्त हुए. 1912 में कलकत्ता में स्वयं अपना साप्ताहिक अल हिलाल निकाला. अपने राजनीतिक विचारों के कारण वह कई बार जेल भी गये. 1923 में कांग्रेस के सभापति चुने गये. 1930 में अंग्रेजी राज्य ने सभी नेताओं के साथ मौलाना आजाद को भी बंदी बना दिया गया, 1936 में वे कांग्रेस के सभापति नियुक्त किये गये और 1946 तक इसका नेतृत्व करते रहे. आजादी के पश्चात पहले आम चुनाव 1952 में मौलाना आजाद उत्तर प्रदेश की रामपुर सीट से चुनाव लड़े. 1957 के चुनावों में कांग्रेस की सीट से गुडगाँव से चुनाव लड़े. ये भारत के पहले शिक्षा मंत्री बने तथा उन्ही के मार्गदर्शन में देश की शिक्षा नीति को मार्गदर्शन मिला.

भारतीय प्रोद्योगिकी संस्थान तथा विश्वविद्यालय अनुदान आयोग जैसे संस्थानों के निर्माण के पीछे इन्ही का हाथ था. कलाम ने 14 वर्ष के सभी बच्चों को निशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा देने की वकालत भी की. साल 1992 में इन्हें मृत्युपरान्त भारत रत्न से भी सम्मानित किया गया.

स्वतंत्रता आंदोलन में योगदान (Abul Kalam’s contribution in the freedom movement)

1942 में अंतिम बार कैद किये गये. स्वतंत्रता मिलने पर केंद्र में जो राष्ट्रीय मंत्रिमंडल बना, मौलाना आजाद उसमें शिक्षा मंत्री बनाए गये. 22 फरवरी 1958 को उनका देहांत हो गया. ये आजाद भारत के प्रथम शिक्षा मंत्री बने तथा शिक्षा के क्षेत्र में राष्ट्र का आगामी दस वर्ष तक मार्गदर्शन किया  भारतीय प्रद्योगिकी संस्थान और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की स्थापना में मौलाना आजाद का महत्वपूर्ण योगदान था. भारतीय शिक्षा व संस्कृति के क्षेत्र में इन्होने संगीत नाटक अकादमी, साहित्य अकादमी तथा ललितकला अकादमी का गठन किया.

अबुल कलाम आजाद की पुस्तकें (Abul Kalam Azad Books)

उनकी रचनाओं में तजकेरा, तरजुमानुल कुरान, गुब्बार ए खातिर, कौल ए कैसल, दास्तान ए कर्बला, इंसानियत मौत के दरवाजे पर, मजामीन ए अल हिलाल आदि हैं. आजाद के विचार आज भी प्रासंगिक हैं.

मौलाना आजाद मृत्यु (Maulana Azad Death)

22 फ़रवरी 1958 ह्रदयाघात के चलते दिल्ली में मौलाना आजाद का देहावसान हो गया था. भारत में शिक्षा के क्षेत्र में क्रांति की शुरुआत इन्ही के निर्देशन में हुई . आधुनिक भारत की शिक्षा प्रणाली का जनक आजाद को कहा जाए तो गलत नहीं होगा. भारत सरकार ने साल 1989 से मौलाना आजाद के जन्म दिवस के मौके पर मौलाना आजाद एजुकेशन फाउंडेशन खोला तथा हर साल 11 नवम्बर को राष्ट्रीय शिक्षा दिवस मनाने का निश्चय किया गया. इस शख्सियत के नाम पर भारत में कई स्कूल, कॉलेज एवं सरकारी संस्थानों के नाम भी रखे गये हैं.

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