शिव पुराण – क्या है शिव महापुराण का पाठ करने की विधि और इसके लाभ

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शिव पुराण – जानें क्या है इस पाठ का महत्व

शिव पुराण (Shiv Puran) में भगवान शिव की महिमा का गुणगान किया गया है। इस पुराण का संबंध शैव मत से माना जाता है। इसमें भगवान शिव को प्रसन्न करने की पूजा विधियों और ज्ञान से भरे आख्यान भी सम्मिलित हैं। हिंदू धर्म में भगवान शिव त्रिदेवों में से एक हैं और इन्हें संहार का देवता भी माना जाता है। भगवान शिव को महेश, महाकाल, नीलकंठ, रुद्र आदि नामों से भी पुकारा जाता है। ऐसा भी माना जाता है कि भगवान शिव महान योगी थे और इसीलिये उन्हें आदियोगी की संज्ञा भी दी जाती है। हिंदू शास्त्रों में भगवान शिव को एक ऐसे देवता के रुप में वर्णित किया गया है जो बहुत दयालु और भोले हैं और भक्तों की एक सच्ची पुकार पर प्रसन्न हो जाते हैं। हालांकि जब भगवान शिव क्रोध में आते हैं तो सारी सृष्टि कांपने लगती है।

शिव पुराण का पाठ कैसे करें - Shiv Puran In Hindi

शिव पुराण

भगवान शिव की महिमा का गुणगान कई प्राचीन भारतीय ग्रंथों में देखने को मिलता है लेकिन शिव पुराण में उनके जीवन पर गहराई से प्रकाश डाला गया है। शिव पुराण में उनके जीवन, विवाह, संतान, रहन-सहन आदि के बारे में विस्तार से बताया गया है। शिव पुराण में 6 खंड और 24000 श्लोक हैं। इसके खंडों के नाम नीचे दिये गये हैं।

1. विद्येश्वर संहिता 2. रुद्र संहिता 3. कोटिरुद्र संहिता 4. उमा संहिता 5. कैलास संहिता 6. वायु संहिता

1. विद्येश्वर संहिता

शिव पुराण की इस संहिता में भगवान शिव से जुड़े ओंकार, शिवलिंग की पूजा और दान का महत्व बताया गया है। भगवान शिव के आंसू से बने रुद्राक्ष और उनकी भस्म के बारे में भी इस संहिता में जानकारी दी गई है। इसमें बताया गया है कि ऐसे रुद्राक्ष को धारण नहीं करना चाहिये जिसमें कीड़े लगे हों या जो खंडित हो। ऐसी ही कई और जानकारियां भी इस सहिंता में हैं।

2. रुद्र संहिता

शिव पुराण की यह महत्वपूर्ण संहिता है इसी संहिता के सृष्टि खण्ड में भगवान शिव को आदि शक्ति का कारण बताया गया है और बताया गया है कि विष्णु और ब्रह्मा की उत्पत्ति भी शिव से ही हुई। इसके साथ ही इस संहिता में भोलेनाथ के जीवन और उनके चरित्र के बारे में भी जानकारी दी गई है। इस संहिता में पार्वती विवाह, कार्तिकेय और गणेश का जन्म, पृथ्वी परिक्रमा से जुड़ी कथा आदि का भी उल्लेख है। भगवान शिव की पूजा विधि का वर्णन भी इसी संहिता में मिलता है।

3. कोटीरुद्र संहिता

इस संहिता में शिव के अवतारों का जिक्र मिलता है। भगवान शिव ने समय-समय पर सृष्टि की रक्षा करने के लिये अवतार लिये हैं। उनके मुख्य अवतारों में हैं- हनुमान जी, ऋषभदेव और श्वेत मुख। इस संहिता में भगवान शिव की आठ मूर्तियों का उल्लेख भी हैं। इन मूर्तियों में भूमि, पवन, क्षेत्रज, जल, अग्नि, सूर्य और चंद्र को अधिष्ठित माना जाता है। यह संहिता इसलिये भी प्रसिद्ध है क्योंकि इसी में भगवान शिव के अर्द्धनारीश्वर रुप धारण करने की रोचक कथा है।

4. उमा संहिता

इस संहिता में माँ पार्वती के चरित्र के बारे में उल्लेख मिलता है। ऐसा माना जाता है कि माता पार्वती भगवान शिव का आंशिक रुप हैं। इसके साथ ही इस संहिता में दान, तप के महत्व को वर्णित किया गया है। इस पुराण में पाप के प्रकार और उनसे मिलने वाले नरकों की जानकारी भी दी गई है। आप पाप कर्म करने के बाद कैसे उसका प्रायश्चित करक सकते हैं इसका उल्लेख भी इस संहिता में मिलता है।

5. कैलाश संहिता

कैलाश संहिता में भगवान शिव की पूजा करने की सम्पूर्ण विधि मिलती है। इसके साथ ही योग के बारे में भी इसमें विस्तार से बताया गया है। इसके साथ ही शब्द ब्रह्मा कहे जाने वाले ओंकार के महत्व की भी इस संहिता में विस्तार से चर्चा है। इसी संहिता में गायत्री जप के महत्व पर भी प्रकाश डाला गया है।

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6. वायु संहिता

वायु संहिता दो भागों में विभाजित है-पूर्व और उत्तर। इस संहिता में शिव ध्यान की विस्तार से चर्चा की गई है साथ ही योग और मोक्ष प्राप्त करने के लिये भगवान शिव की प्रधानता की भी इस संहिता में उल्लेख मिलता है। भगवान महादेव के सगुण और निर्गुण रुप का भी इस संहिता में उल्लेख है।

शिव पुराण पढ़ने के लाभ

भगवान शिव को भोलेनाथ भी कहा जाता है और उनकी कृपा मात्र से भक्तों के कई कष्टों का निवारण हो जाता है। ऐसे में आज हम आपको बताएंगे कि शिव भगवान की महिमा से भरे शिव पुराण को पढ़ने से भक्तों को क्या लाभ प्राप्त होते हैं।

  • शिव पुराण का पाठ करने से व्यक्ति को भय से मुक्ति मिलती है।
  • इस पुराण का पाठ करने से व्यक्ति को भोग और मोक्ष दोनों की ही प्राप्ति होती है।
  • यदि आप अपने पापों से छुटकारा पाना चाहते हैं तो शिव पुराण का पाठ सबसे ज्यादा लाभकारी है।
  • सावन के महीने में शिव पुराण का पाठ करने से जीवन के सब दुखों से मुक्ति मिलती है।
  • शिव पुराण का पाठ करने से इंसान को मृत्यु का भय नहीं सताता और मृत्यु के बाद ऐसे व्यक्ति को शिव के गण लेने आते हैं।
  • मानसिक शांति की प्राप्ति के लिये भी शिव पुराण का पाठ किया जाता है।

शिव पुराण पूजा विधि

शिव पुराण का का पाठ और शिव भगवान की पूजा करने से पहले आपको नित्य कर्मों से निवृत होकर शुद्ध जल से स्नान करना चाहिये। इसके बाद पूजा स्थल पर भगवान शिव और पार्वति के साथ नंदी की तस्वीर या मूर्ति स्थापित करनी चाहिये। यदि घर में शिवलिंग है तो मिट्टी के पात्र में जल भरकर शिवलिंग का जलाभिषेक करना चाहिये और बेलपत्र, धतुरे के पुष्प, चंदन, चावल आदि शिवलिंग पर अर्पित करने चाहिये। इसके बाद शुद्ध मन से शिवपुराण का पाठ करना चाहिये और रात्रि जागरण करना चाहिये। शिवपुराण का पाठ यदि महाशिवरात्रि के दिन किया जाए तो व्यक्ति को कई परेशानियों से मुक्ति मिलती है।

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शिव महापुराण का पाठ करते समय इन बातों का रखें ध्यान

शिव पुराण का पाठ करने से पहले आपको कुछ सावधानियां बरतनी पड़ती हैं जिनके बारे में आज हम आपको बताएंगे। शिव पुराण का पाठ करके यदि आप भगवान शिव को प्रसन्न करना चाहते हैं तो सबसे पहली और सबसे महत्वपूर्ण बात है ब्रह्मचर्य का पालन। इसके साथ ही पाठ को शुरु करने से पहने आपको स्वच्छ जल से नहाना चाहिये और साफ-सुथरे कपड़े पहनने चाहिये। अपने नाखून-बाल आदि को भी साफ करना चाहिये। जब तक आप शिव पुराण का पाठ कर रहे हैं तब तक आपको भूमि पर सोना चाहिये। व्यर्थ की बातों में आपको समय नहीं बिताना चाहिये, ना ही किसी की बुराई करनी चाहिये और ना ही सुननी चाहिये। मांस-मदिरा का सेवन भी वर्जित है। कथा के संपन्न होने के बाद आपको शिव परिवार की पूजा करनी चाहिये।

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शिव पुराण का महत्व

पूरे भारत वर्ष के साथ पूरी दुनिया में भगवान शिव के जितने भक्त हैं वो भगवान शिव से सुख और शांति की कामना करते हैं। भगवान शिव के भक्तों के लिये शिव पुराण का बड़ा महत्व है। इस पुराण में शिव भगवान की महिमा की गई है। इस पुराण में शिव जी को वात्सल्य, दया और करुणा की मूर्ति के रुप में महिमामंडित किया गया है। इस पुराण का पाठ करने से भक्तों के अंदर भी ऐसे ही गुणों का संचार होता है। यानि भक्तों का चरित्र भी भगवान शिव की ही तरह बनने लगता है। जो भक्त शिव पुराण का विधि पूर्वक पाठ करते हैं वो जीवन-मरण के चक्र से भी मुक्ति पा जाते हैं। इसलिये हिंदू धर्म में शिव पुराण को बहुत अहम माना जाता है।

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शिव पुराण में वर्णित ‘ॐ’ के जप का महत्व

शिव पुराण में ‘ॐ’ के जप के महत्व को वर्णित किया गया है, इसे शिव का एकाक्षरी मंत्र भी कहा जाता है। जो भी व्यक्ति ‘ॐ’ का रोजाना 1000 बार जप करता है उसे कई चिंताओं से मुक्ति मिलती है। इस जप को करने से मनोवांछित फलों की प्राप्ति होती है और व्यक्ति की वाणी में तेज आता है। ‘ॐ’ का जप करने से कई रोगों से भी मुक्ति प्राप्त होती है। इसके अलावा शिव पुराण में यह उल्लेख भी मिलता है कि, ‘ॐ नम: शिवाय’ मंत्र का प्रतिपादन भी स्वयं भगवान शिव ने भक्तों की भलाई के लिये किया था। यह मंत्र बहुत सूक्ष्म है लेकिन इसका जाप करने से बड़े से बड़ी मुश्किलें भी दूर हो जाती हैं।

शिव पुराण में बताये गये मृत्यु से जुड़े राज

महादेव को संसार का संहारक भी माना गया है। भगवान शिव से जुड़े शिव महापुराण में मृत्यु से पहले मिलने वाले कुछ संकेतों के बारे में बताया गया है। यदि किसी व्यक्ति के सिर पर कौवा बैठ जाए तो इसका यह अर्थ है कि जल्द ही उसकी मृत्यु होने वाली है। जिस व्यक्ति का बायां हाथ एक हफ्ते तक लगातार फडफड़ाए तो उसकी मृत्यु भी निकट मानी जाती है। हालांकि ऐसा माना जाता है कि भगवान शिव की भक्ति करने से मनुष्यों को लंबी आयु का वरदान प्राप्त होता है। जिस जातक की कुंडली में अल्पआयु का योग होता है उसे पंडितों द्वारा भगवान शिव की पूजा अर्चना करने की सलाह दी जाती है।

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शिव पुराण में जीवन से जुड़ी महत्वपूर्ण बातें

  • शिव पुराण में कई ऐसी शिक्षाएं दी गई हैं जिनका यदि कोई पालन करे तो कई समस्याओं से बच निकल सकता है। शिव पुराण में बताया गया है कि व्यक्ति को अपनी इच्छाओं पर नियंत्रण रखना चाहिये और इन्द्रियों को वश में करने की कोशिश करनी चाहिये। व्यक्ति को इच्छाओं और आवश्यकताओं में अंतर समझना चाहिये और उन इच्छाओं का त्याग कर देना चाहिये जिससे चरित्र की हानि होती हो।
  • शिव पुराण में बताया गया है कि मोह-माया में पड़कर इंसान अपने उद्देश्यों को कभी प्राप्त नहीं कर सकता, इसलिये व्यक्ति को मोह-माया के वशीभूत होकर नहीं रहना चाहिये। मोह और माया के बंधनों से व्यक्ति जब आजाद हो जाता है तो उसे परम ज्ञान की प्राप्ति होती है।
  • अपने चरित्र पर नियंत्रण रखने की भी शिव पुराण में सीख दी जाती है। साथ ही इसमें यह भी बताया गया है कि मनुष्य को मन वाणी और कर्मों से किसी को भी आहत नहीं करना चाहिये।
  • शिव पुराण में सत्य बोलना और सत्य का साथ देने की सीख भी मिलती है। शिव पुराण के अनुसार जब माता पार्वती भगवान शिव से पूछती हैं कि सबसे बड़ा धर्म क्या है तो भगवान शिव कहते हैं सत्य का साथ देना ही सबसे बड़ा धर्म है। अर्थात व्यक्ति को कभी भी असत्य के मार्ग पर नहीं चलना चाहिये। जो भी व्यक्ति आजीवन सत्य के मार्ग पर चलता है भगवान शिव उसे उन्नति अवश्य प्रदान करते हैं।

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