SAI BABA STORY IN Hindi 2024 साईं बाबा की कहानी इतिहास

साईं बाबा की कहानी इतिहास Sai Baba Story In Hindi: महाराष्ट्र और देशभर के करोड़ों लोगों की आस्था के केंद्र शिर्डी के साईं बाबा की ख्याति देश विदेश में हैं.

SAI BABA STORY IN Hindi
                                                     SAI BABA STORY IN Hindi

आज के आर्टिकल में हिन्दुओं और मुस्लिमों द्वारा समान रूप से माने जाने वाले साईं के इतिहास जीवनी और उनकी कहानी को जानेगे.

साईं बाबा का इतिहास व कहानी Shirdi Sai Baba Story History in Hindi
कौन उनकी माता कौन पिता क्या धर्म क्या जाति. शायद कोई नही जानता. कबीर के अवतार और मुस्लिम फकीरों के साथ साधू का जीवन व्यतीत करने वाले शिरडी के साई बाबा आज करोड़ो लोगों की आस्था के केंद्र हैं,

अब तक साईं बाबा के जीवन पर कुछ लोगों ने तथ्यों की खोज भी की हैं, जिनमे दास गनु का नाम प्रमुख हैं, इन्होने साईं के पैतृक गाँव पथरी में कुछ समय रहकर उनके वहा बिताए गये बचपन के बारे में जानकारियाँ सामने लाए थे.

भगवान वही होता हैं, जो भक्तो के दिलों में बसता हो. जो प्रत्येक दुःख की घड़ी में अपने भक्त की खुले दिल से मदद करता हो. एक फक्कड़ की तरह जीवनयापन करने वाले शिरडी के साई बाबा की कहानी में उनके जीवन से जुड़ी कुछ घटनाएँ और विषय यहाँ पर बताएं जा रहे हैं.

कुछ लोग मानते हैं साईं बाबा का जन्म 1935 में महाराष्ट्र राज्य के पाथरी गाँव में हुआ था. जो पारभणी जिले में आता हैं, जबकि कुछ लोग मानते हैं कि इनका जन्म भारत के पहले स्वतन्त्रता आन्दोलन से पूर्व 1830 के आस-पास हुआ था.

एक किताब के अनुसार 1954 में 16 वर्ष की आयु में इन्होने पाथरी गाँव को छोड़ दिया था. महाराष्ट्र के एक गाँव शिर्डी आ बसे थे. जहा वो एक नीम के पेड़ के नीचे काले पत्थर पर तपस्या किया करते थे. और यही इनका देहांत हुआ था.

Shirdi history of sai baba story in Hindi me (साई बाबा का इतिहास)

शिरडी के साई बाबा ने कुछ वर्षो तक मुस्लिम फकीरों के साथ जीवन-यापन किया था. फिर अकेले और सुनसान जगह पर रहने लगे. बेहद कम आयु में खुले आसमान के नीचे जब भी कोई इस बालक को देखता तो देखता ही रह जाता.

मनमोहक छवि के इस बालक को नित्य एक पेड़ के नीचे बैठे देख लोगों के मन में तरह-तरह के सवाल उठने वाजिब थे.

एक तपस्वी का जीवन बिताने वाले साईं पर प्रकृति की किसी क्रिया का कोई प्रभाव नही पड़ता था. लोग भी उनके सामने कवाली और भजन गाते हुए नृत्य करते तो मौन मुनि की भांति अपना सर हिलाकर उनकी खूब प्रशंसा किया करते थे. उनकी दिनचर्या आम जीवन से पूर्ण अलग थी.

जब दुनिया खराटे की नीद सोती तब साईं अपनी तपस्या में लीन रहते थे. जब दुनिया के लिए सवेरा होता तो वे सो जाते थे.

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कई बार अपने जीवन के दौरान अद्भुत चमत्कार भी दिखाई. वे इसमे स्वय को एक भक्त मानकर इसे इश्वर की कुदरत ही मानते थे.

कलयुग का अवतार कहे जाने वाले साईं बाबा के बारे में आज तक कोई प्रमाण नही हैं, लोग बस इन्हे विशवास और किवदन्तियो के सहारे कभी भगवान तो कभी कबीर का अवतार कहते हैं.

इनके पूर्वज कौन थे. किसी को इस विषय में पुख्ता जानकारी नही हैं. कट्टरवादी हिन्दू साईं बाबा को भगवान न मानकर एक छलावा मानते हैं. ये एक मुस्लिम फकीर थे. जो एक योजना के तहत यहाँ आए और रस बस गये.

कुछ लोगों ने इनके नाम के साथ राम और ॐ जोड़कर भगवान की पद्वी दिलाने का काम किया हैं. यकीन कोई करे या ना करे साईं बाबा से जुड़ी सच्चाई इतनी कड़वी हैं, शायद फिर इन्हे कोई भगवान समझे या नही.

एक वेबसाइट के साभार से आपकों बताते हैं. साईं बाबा कौन थे. हिन्दू या मुस्लिम. कैसे बन गये शिर्डी के पालनहार. 15 अक्टूबर 1918 को साईबाबा का जन्म दिन यानि बर्थडे माना जाता हैं.

साई बाबा की सच्चाई (The Facts & truth About Sai Baba)

एक मुस्लिम फकीर के साई बाबा बनने के पीछे कुछ धनवान हिन्दुओ का हाथ था. उन्होंने इनके लिए सभी तरह की सुविधाए मुहैया करवा दी थी.

ये मात्र दिखावे के लिए भीख मांगते थे जबकि सभी आवश्यक चीजे कुछ लोगों द्वारा उन तक पंहुचा दी जाती थी. इनके कहने पर ही एक हिन्दू वृदा कृष्णा माई पास ही की एक मुस्लिम दरगाह में गरीबों को खाना बाटती और साफ़-सफाई किया करती थी.

इस साजिश के पीछे फिल्मकारों का भी हाथ था,वर्ष 1999 में बनी बीवी नंबर 1 में पहली बार ॐ साईं राम का गाना बनाकर इन्हे राम के साथ जोड़ा गया.

हिन्दू पीठ के संत शंकराचार्य से पूछा गया कि साईं बाबा कौन हैं तो इन्होने स्पष्ट रूप से कहा ये इस्लामिक फकीर हैं. स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने साई बाबा के बारे में कहा ये मासाहारी हैं जो हिन्दुओ का खतना करना चाहता हैं.

यवन देश के मुस्लिम संत साईं ने हिन्दुओं की बहुदेववाद परम्परा को एकेश्वरवादी में बदलने की चाल चली. साईं बाबा ने जिदगी भर स्वय मस्जिद में रहे, फिर मृत्यु के बाद हिन्दू भगवान कैसे हो गये. आज भी हजारो लोग मानते हैं. साईं बाबा ने लोगों की प्लेग की बिमारी से रक्षा की.

सच यह हैं कि प्लेग के प्रकोप से उस समय भारत के कई शहर तक बर्बाद हो गये थे. इसी डर से शिर्डी के लोग भी गाँव छोड़ना चाहते थे. मगर साईं बाबा ने एक रेखा खीचकर उन लोगों को बाहर जाने से रोका.

क्युकि यदि वे गाँव छोड़ देते तो लोग वापिस नही आते. जबकि उस गाँव में प्लेग किसी को नही हुआ था. आवागमन बंद कर दिए जाने के कारण वो गाँव प्लेग की चपेट से दूर रहा. भौली जनता ने इसे साई बाबा का चमत्कार मान लिया.

साई बाबा की सच कथा (sai baba story)

साई बाबा सभी हिन्दू परम्पराओ के विरोधी थे. वे पूजा-पाठ, ध्यान, प्राणायाम और योग लोगों को न करने का संदेश देते थे. साई बाबा सर्दी के दिनों में आग जलाते थे, जिन्हें लोग धुनी मानकर चलते थे.

जब भी लोग उस समय पास आते तो प्रसाद ना पास होने पर राख ही दे देते थे. इसके अतिरिक्त जब वो प्रसाद बाटते थे तो मॉस और नमकीन का भोग दिया करते थे. आपको इंटरनेट पर अथवा कुछ किताबों में साईं बाबा के बारे में पढने को मिल सकता कि ब्राह्मण थे.

एक क्षण के लिए मान भी लिया जाए तो फिर वे मस्जिद में जीना क्यों पसंद करते थे. वे चाहते तो मन्दिर में रह सकते थे, या फिर नीम के नीचे भी तो अपना आश्रम बना सकते थे. साईं शब्द का अर्थ संत होता हैं, यह फारसी शब्द हैं.

उस समय साईं शब्द मुस्लिम फकीरों के लिए उपयोग किया जाता था. पहली बार उन्हें साईं शिर्डी के एक मदिर के पुजारी ने कहा जब वे वहा रुके. उनकी वेशभूषा और ढंग मुस्लिम फकीरों जैसा ही था.

आज साई बाबा को लेकर एक उक्ति बेहद प्रसिद्ध हैं’ सबका मालिक एक’ उन्होंने जीवन में कभी यह नही कहा साई बाबा हमेशा अल्लाह मालिक हैं कहा करते थे. मुस्लिम फकीर ही सिर पर कफन जैसा कपड़ा बाधते हैं, साईं भी वैसा ही बाधते हैं.

एक हिन्दू सन्यासी या तो खुले बाल रखता हैं, या बाल ही नही रखते हैं. इन साई बाबा की तरह कफन बाधना वर्जित हैं. साईं सच्चरित्र में साई बाबा लिखते हैं यवन से आने वाले लोग इन्हे इस्लाम फकीर मानते हैं, जबकि भारतीय साधू.

साई बाबा हिन्दू थे या मुसलमान (Sai Baba was a Hindu or a Muslim)

लोगों का गलत विशवास और कुछ लोगों की चाल ही इन्हे हिन्दू बनाती हैं, साई बाबा ने कभी नही कहा कि मै हिन्दू हु, अथवा हिन्दू रीती-रिवाजों और धारणाओ का पालन किया,

उन्होंने हमेशा एक मुस्लिम फकीर की तरह आचरण किया, लोग गलत फहमी से साई बाबा को हिन्दू मानते थे,आधुनिक युग में भी इस तरह की लोगों की प्रवृति शोचनीय हैं, ऊपर लिखी बातों के अतिरिक्त हजारों ऐसे आरोप हैं.

जो बार बार यही सिद्ध करते हैं, कि साईं एक मुस्लिम फकीर थे. उन्होंने कभी धार्मिक एकता की बात नही की. लोग गलत फहमियो की वजह से इन्हे चमत्कारी पुरुष और अवतार मानने लगे थे. इस बात से हर कोई सहमत होगा. धर्म के नाम की लूट यानि राम नाम की लूट.

बेहद आसान हैं, शातिर दिमाग की शक्तिया इस तरह के कार्य को आसानी से अंजाम दे देती हैं. साई बाबा ने कभी हिन्दू संत बनने का न तो नाटक किया न इच्छा जताई. कुछ लोगों ने बस उनके नाम का कमाने की यह चाल चली जो आज भी जारी हैं.

शिरडी साईं बाबा आरती भजन गीत (Shirdi Sai Baba Aarti Bhajan Song)

aarti shri sai guruvar kee |
paramnand sada survar kee ||
jaa kee krpa vipul sukhakaree |
duhkh, shok, sankat, bhayaharee ||
shiradee mein avataar rachaaya |
chamatkaar se tatv dikhaya ||
kitane bhakt charan par aaye |
ve sukh shaanti chirantan paaye ||
bhav dharai jo man mein jaisa |
paavat anubhav vo hee vaisa ||
guru kee udee lagave tan ko |
samadhan labhat us man ko ||
saeen naam sada jo gaave |
so phal jag mein shaashvat paave ||
guruvasar kari pooja – seva |
us par krpa karat gurudeva ||
raam, krshn, hanumaan roop me |
de darshan, jaanat jo man me ||
vividh dharm ke sevak aate |
darshan kar ichchhit phal paate ||
jai bolo saeen baba kee |
jo bolo avadhot guru ke ||
saendaas aaratee ko gaave |
ghar mein basi sukh, mangal paave ||

शिरडी साई बाबा के चमत्कार (Miracles Of Sai Baba Story In Hindi)

आस्था और पूजा पद्दति में विशवास किये जाने और संतो की कर्मस्थली भारत में प्रत्येक साधू संत का आदर सत्कार किया जाता हैं. साई बाबा के शिर्डी के सच्चे दरबार की कहानी कुछ उलझी सी हैं, कुछ लोग यहाँ आकर श्रद्धा और भक्ति से माथा टेकते हैं, तो कुछ साई बाबा के नाम से अंध भक्तो को लुटते हैं.

आज शिर्डी के साईं बाबा का मन्दिर भारत के सबसे अधिक जायदाद वाले मन्दिरों में गिना जाता हैं. कभी राम तो कभी श्याम का अवतार कहे जाने वाले साई बाबा नए अवतारी हैं.

दुसरे भगवान कुछ पुराने हो गये शायद इसलिए उन्हें चढ़ावा कुछ ज्यादा ही आता हैं, साई बाबा के अधिकतर भक्त अमीर लोग ही होते हैं. सांईंबाबा के कुछ चमत्कार हैं, चाहे वो असल हो या विशवास जिनको मानकर लोग इन्हें अपना भगवान ही समझते हैं.

शिरडी जाने वाले लोगों का मानना हैं, यहाँ आकर कोई भी मन्नत मांगे तो उनकी सारी मनोकामनाए पूरी हो जाती हैं. ऐसी ही एक दत्तोपंतजी की कहानी हैं, जो मध्यप्रदेश के रहने वाले हैं,

पेट की बिमारी का इलाज करवाने के बाद भी इन्हें आराम नही मिलने पर ये शिर्डी गये. और दरबार में माथा टेका अपनी पीड़ा साईं को बताई तो झट से उनका सारा दर्द दूर हो गया.

शिरडी साई बाबा मंदिर (Sai Baba Story In Hindi &  Shirdi Temple)

यु ही इन्हें शिर्डी के साईं बाबा नहीं कहा जाता हैं, इन्होने अपने जीवन के अधिकतर वर्ष यही तपस्या करते हुए बिताए थे. कहा जाता हैं.

मृत्य के 100 साल बाद बाद भी वो यहाँ निवास करते हैं. देश विदेश में बैठे अपने भक्त का ख्याल रखते हैं. 2 एकड़ भूमि में बना यह शिर्डी मन्दिर का निर्माण 1922 के आस-पास माना जाता हैं.

इस मन्दिर में दर्शन करने के लिए प्रतिवर्ष 2 करोड़ से अधिक सैनानी आते हैं. मन्दिर में साईं बाबा के अतिरिक्त हनुमान जी और लक्ष्मी जी की मुर्तिया भी हैं.

इस मन्दिर के पीछे की दिशा में आज भी वो नीम का पेड़ और पत्थर हैं जहा श्री साईं तपस्या किया करते थे. सुबह शाम दोनों समय आरती होती हैं. गुरुपूर्णिमा के दिन यहाँ विशाल मेला भरता हैं.

साई बाबा के उपदेश / शिक्षाएं
  • साईं ने एक इंसान को कैसा होना चाहिए, इसके बारे में बताया है। साई बाबा का कहना था कि हम जब घर बनाते हैं तो उसकी नींव को सबसे ज्यादा मजबूत और ठोस बनाते हैं, ताकि घर सालों-साल तक मजबूती से टिका रहे और उस पर किसी प्राकृतिक आपदा का असर न हो। ठीक यही नियम इंसान पर भी लागू होता है। एक इंसान की परवरिश इसी तरह  से मजबूत और ठोस हो की वह किसी के बहकावे या दिखावे में आकर प्रभावित न हो, बल्कि अपने सिद्धांतों और उसूलों पर हमेशा टिका रहे। ऐसे इंसान ही हमेशा पूजनीय बनते हैं।
  • साईं इंसान को कमल की तरह बनने की सीख देते थे। उनका कहना था कि कमल सूर्य की किरणे पड़ने के साथ खिलता है, और उसकी पंखुड़ियां फैल जाती हैं। एक इंसान को भी जहां ज्ञान और सीख मिले वहां कमल की तरह बन जाना चाहिए। ज्ञान प्राप्त करने के लिए किसी के आगे भी हाथ फैला देना चाहिए, क्योंकि ज्ञान से जीवन में अनेक रास्ते खुलते हैं।
  • साईं ने अपने भक्तों से कहते थे कि, दुनिया में नया या पुराना कुछ भी नहीं है , सब कुछ हमेशा है और हमेशा रहेगा, लेकिन यदि धैर्य और संतोष नहीं हो तो मनुष्य के लिए हर दिन परेशान करने वाला हो सकता है। इसलिए संतुष्टि को अपने जीवन में सर्वप्रथम विकसित करना चाहिए।
  • साईं अपने भक्तों को अपने अनुभवों से सीखने के लिए कहते थे। साथ ही वह यह भी कहते थे कि दूसरे के अनुभव से भी सीखना चाहिए । अनुभव से व्यक्ति आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त कर सकता है।
  • साईं का कहना था कि व्यक्ति के सभी कार्य विचारों के परिणाम होते हैं। यदि कोई बुरा कर्म करता है तो ये भी उसके विचार ही का फल होता है। व्यक्ति को अपने विचार  शुद्ध और सही रखना चाहिए।

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