Insurance Claim Reject Hone Ke karan इंश्योरेंस क्लेम रिजेक्ट होने के 14 प्रमुख कारण। #Storiesviewforall

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Insurance Claim Reject Hone Ke karan इंश्योरेंस क्लेम रिजेक्ट होने के 14 प्रमुख कारण। #Storiesviewforall

इंश्योरेंस क्लेम रिजेक्ट होने का सीधा सीधा सा मतलब है की जो पैसा पालिसी होल्डर या उसके प्रियजनों को मिलने वाला था । वह नहीं मिलना अर्थात उनके आवेदन को इंश्योरेंस कंपनी द्वारा किसी कारणवश रिजेक्ट कर देना। चूँकि यह मामला सीधे सीधे हितधारकों के पैसों से जुड़ा हुआ मामला है इसलिए इस पर बात करना अत्यंत आवश्यक हो जाता है। मिस्टर राहुल  जब जिन्दा थे तो वे अपने परिवार का अच्छी तरह से ध्यान रखते थे।

Insurance Claim Reject Hone Ke karan
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और चूंकि उन्हें अपने परिवार की बेहद ज्यादा चिंता थी तो उन्होंने एक उचित बीमा कवर प्रदान करने वाली एक जीवन बीमा पालिसी भी खरीदी थी ताकि उनकी अनुपस्थिति में भी उनका परिवार स्वयं की देखभाल कर पाने में सक्षम हो। यही कारण था की वे अपनी पालिसी इत्यादि की डिटेल्स अपने परिवार से साझा करते थे लेकिन जब उनकी मृत्यु हुई तो परिवार वालों ने लाइफ इंश्योरेंस क्लेम किया। लेकिन परिवार वालों को तब आघात पहुंचा जब वह इंश्योरेंस क्लेम रिजेक्ट हो गया।

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हालांकि देखा जाय तो बीमा कंपनीयां उस कठिन घड़ी में आपके द्वारा किये गए क्लेम का सम्मान करने के लिए प्रतिबद्ध होती हैं और वे उसे जल्द से जल्द प्रोसेस करके आपको पैसा दिलाने की पूर्ण कोशिश करती हैं। वह इसलिए क्योंकि अगर कोई इंश्योरेंस कंपनी जान बुझकर पालिसी होल्डर या उसके नॉमिनी के क्लेम रिजेक्ट करेगी तो उस कंपनी से शायद ही कोई किसी प्रकार का इंश्योरेंस खरीदेगा।

लेकिन इन सबके बावजूद बहुत सारे लोगों के इंश्योरेंस क्लेम इंश्योरेंस कंपनीयों द्वारा रिजेक्ट किये जाते हैं और इनके रिजेक्शन के पीछे कोई न कोई कारण अवश्य होते हैं। आज इस लेख में हम उन्हीं कारणों पर प्रकाश डालने की कोशिश कर रहे हैं।

इंश्योरेंस की अवधारणा

हमें यहाँ पर यह समझना अति आवश्यक है की आम तौर पर जब संकट की घड़ी में किसी परिवार का इंश्योरेंस क्लेम रिजेक्ट हो जाता है तो उस परिवार का उस इंश्योरेंस कंपनी के प्रति नाराजगी स्वभाविक है। लेकिन इंश्योरेंस की अवधारणा को समझने की कोशिश करेंगे तो हम पायेंगे की आम तौर पर एक बीमा बीमाकर्ता एवं बीमाधारक के बीच एक अनुबंध होता है जो अनेकों सिद्धांतों पर आधारित होता है। इन सिद्धांतों में एक जो सबसे मूल सिद्धांत है वह यह है की इस अनुबंध में शामिल दोनों पक्षों को अत्यंत अच्छे विश्वास के साथ कार्य करना है।

अगर इसे हम सरल शब्दों में कहें तो हम कहेंगे की पालिसीधारक को बीमा कंपनी को जानकारी प्रदान करते समय पूरी ईमानदारी एवं सटीकता का ध्यान रखना चाहिये। ताकि बीमा कंपनी इस बात का निर्णय ले सके की अमुक व्यक्ति को बीमा बेचना है या नहीं या फिर बेचना है तो उसके लिए प्रीमियम राशि क्या होगी इत्यादि।

लेकिन आम तौर पर देखा जाता है की कभी कभी पालिसी धारक इस मूल सिद्धांत को भूल जाते हैं। और बीमा कंपनी को गलत या आधी अधूरी जानकारी दे देते हैं। ऐसे मामलों में अधिकतर इंश्योरेंस क्लेम रिजेक्ट हो जाते हैं। इसलिए हम यहाँ पर न केवल जीवन बीमा क्लेम रिजेक्ट होने के बारे में बात करेंगे बल्कि हेल्थ इंश्योरेंस एवं मोटर इंश्योरेंस रिजेक्ट होने के कारणों में भी बात करेंगे ।

लाइफ इंश्योरेंस क्लेम रिजेक्ट होने के कारण

लाइफ इंश्योरेंस लोग अधिकतर इस डर से कराते हैं की यदि कल को उन्हें कुछ हो जाता है तो उनके परिवार का ध्यान कौन रखेगा। लेकिन बहुत बार इस तरह के क्लेम बीमा कंपनी द्वारा रिजेक्ट अर्थात अस्वीकृत कर दिए जाते हैं जिनके पीछे कुछ मुख्य कारण निम्नलिखित हैं।

1. बिना सोचे समझे पालिसी खरीदी गई हो

भारत में अक्सर देखा गया है की बहुत सारे लोग टैक्स बचाने के चक्कर में बिना किसी सोच विचार के किसी आउटसोर्सिंग एजेंट के माध्यम से जल्दबाजी में जीवन बीमा पालिसी खरीद देते हैं। इन मामलों यानिकी ऐसी स्थिति में यह संभावना अधिक रहती है की पालिसी धारक को पालिसी कवरेज के विवरण एवं बहिष्करण के बारे में पूरी जानकारी नहीं होती है। परिणामस्वरूप जब पालिसी के कवरेज के बारे में पूरी जानकारी के बिना कोई क्लेम किया जाता है तो इस तरह के क्लेम की रिजेक्ट होने की संभावना अधिक रहती है।

2. प्रदान की गई जानकारी सही नहीं हो

बीमा के अनुबंध में सदभाव का सिद्धांत बेहद ही महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है जिसके लिए पालिसीधारक को प्रस्ताव की आवश्यकता वाली सभी जानकारी बीमा कंपनी को सही एवं प्रमाणिक प्रदान करनी पड़ती है। ध्यान रहे यदि बीमा कंपनी द्वारा पालिसीधारक द्वारा प्रदान की गई जानकारी में थोड़ी सी भी विसंगति पायी गई। तो बीमा कंपनी को बीमा क्लेम रिजेक्ट करने का पूर्ण अधिकार है।

3. पेशे के विवरण में त्रुटी

बीमा से जुड़ने की प्रक्रिया के दौरान या फिर बीमा के लिए आवेदन करते समय आवेदक का व्यवसाय एक प्रमुख करक होता है जो बीमा कंपनी को यह निर्णय लेने में मदद करता है की अमुक व्यक्ति को बीमा देना है नहीं? यदि देना है तो इसका प्रीमियम इत्यादि क्या होगा?

क्योंकि आवेदक के व्यवसाय में जितना जोखिम होगा बीमा कंपनी द्वारा प्रीमियम भी उसी आधार पर निर्धारित किया जाता है। या फिर कई मामलों में अनेक पेशों के लिए कंपनी व्यक्ति को बीमा कवर देने से मना भी कर सकती है। इसलिए यदि पालिसी होल्डर ने अपने पेशे से सम्बंधित बीमा कंपनी को गलत जानकारी दी हो तो वह क्लेम को अस्वीकार कर सकती है।    

4. अपनी मेडिकल हिस्ट्री छुपाना

जब व्यक्ति जीवन बीमा के लिए आवेदन कर रहा हो तो इस प्रक्रिया के दौरान उसकी मेडिकल हिस्ट्री का विवरण बेहद महत्वपूर्ण होता है । यही कारण है की यदि पालिसी कवरेज शुरू होने के बाद मेडिकल सम्बन्धी दिए गए विवरण में कुछ विसंगति पायी जाती है। या बीमा कंपनी को लगता है की पालिसी होल्डर ने उससे अपनी मेडिकल हिस्ट्री छुपाई है तो इस स्थिति में भी क्लेम रिजेक्ट हो सकता है।

5. बीमाधारक की मृत्यु अनकवर कारणों से हुई हो

जीवन बीमा में मृत्यु के ऐसे कई कारण होते हैं जो कवर नहीं होते हैं यदि कोई बीमाधारक आत्महत्या, अधिक नशे का सेवन, नशे में गाड़ी चलाने से दुर्घटना होने पर या फिर बीमा कंपनी के भौगौलिक दायरे के बाहर, युद्ध या युद्ध जैसी स्थितियों के कारण मृत्यु को प्राप्त होता है। और इस तरह के मामलों से जुड़ा हुआ यदि बीमा कंपनी को कोई बीमा क्लेम प्राप्त होता है तो उसे रिजेक्ट कर दिया जाता है।

6. पालिसी लैप्स हो गई हो

ध्यान रहे जीवन बीमा चाहे किसी भी तरह जैसे टर्म प्लान, एंडोमेंट प्लान, ULIP या किसी अन्य प्रकार का चाहे कोई भी हो। लेकिन एक बार पालिसी लैप्स हो जाने के बाद यह बीमा कवर प्रदान करना बंद कर देता है। इसलिए यदि किसी व्यक्ति द्वारा लैप्स पालिसी पर क्लेम किया जाता है तो बीमा कंपनी द्वारा इसे अस्वीकृत कर दिया जाता है।  

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7. मौजूदा बीमा पालिसीयों के बारे में जानकारी न देना

आम तौर पर देखा गया है की अक्सर जब किसी व्यक्ति को नई जीवन बीमा पालिसी लेनी होती है तो वह पहले से उसके द्वारा ली गई जीवा बीमा पालिसीयों अर्थात मौजूदा पालिसी के बारे में बीमा कंपनी को बताना भूल जाता है। या फिर जान बुझकर मौजूदा बीमा पालिसी के बारे में जानकारी प्रकट करने से झिझकता है। और अक्सर देखा गया है की बीमा क्लेम को रिजेक्ट करने का कंपनी के पास यह भी एक पर्याप्त कारण है।

8. मोटर बीमा रिजेक्ट होने के कारण

लोग अपने वाहन को सुरक्षित करवाने के लिए उसका बीमा करवाते हैं लेकिन इसका क्लेम भी बहुत सारे कारणों से बीमा कंपनी रिजेक्ट कर सकती है। मोटर इंश्योरेंस के रिजेक्ट होने के कारणों में निम्नलिखित कारण शामिल हैं।

9. वाहन ड्राइविंग के लिए अनफिट हो

मोटर बीमाधारक का वाहन किसी दुर्घटना में दुर्घटनाग्रस्त हो गया हो और बीमाधारक ने बीमा के लिए बीमा कंपनी में क्लेम किया हो । लेकिन बीमा कंपनी की जांच में बीमा कंपनी को पता चलता है की आपके वाहन के टायर ख़राब हो गए थे या दुर्घटना के समय वाहन की पीछे की रौशनी काम नहीं कर रही थी। लेकिन फिर भी आप उसे सड़क पर चला रहे थे तो आपका बीमा क्लेम रिजेक्ट हो सकता है।

10. उपयोग के सीमाओं का उल्लंघन

ध्यान रहे मोटर बीमा पालिसी वाहन के इस्तेमाल को ध्यान में रखते हुए प्रदान की जाती हैं कहने का आशय यह है की मोटर बीमा पालिसी व्यक्तिगत इस्तेमाल के वाहन एवं व्यवसायिक इस्तेमाल के वाहन के तौर पर प्रदान की जाती हैं । अर्थात कमर्शियल वाहन के लिए अलग मोटर बीमा पालिसी एवं पर्सनल वाहन के लिए अलग मोटर बीमा पालिसी बीमा कंपनी द्वारा प्रदान की जाती हैं।

इसलिए यदि कोई व्यक्ति व्यवसायिक या वाणज्यिक उद्देश्य की पूर्ति के लिए पर्सनल वाहन का इस्तेमाल कर रहा हो और इस दौरान यदि वाहन को कोई नुकसान होता है तो बीमा कंपनी इस क्लेम को रिजेक्ट कर सकती है।

11. नशे में या लापरवाह ड्राइविंग       

यदि कोई व्यक्ति नशे या लापरवाही में वाहन को चलाता है और इस दौरान यदि वह दुर्घटना का शिकार हो जाता है। और बाद में वह क्षतिग्रस्त वाहन पर आने वाले खर्चे के लिए बीमा कंपनी को क्लेम करता है तो बीमा कंपनी ऐसे मामलों में दावों को रिजेक्ट कर सकती है। इसके अलावा यदि वाहन को कोई ऐसा व्यक्ति चला रहा हो जिसके पास ड्राइविंग लाइसेंस न हो और यदि व्यक्ति ने बीमा का प्रीमियम नहीं भरा हो तब भी बीमा कंपनी क्लेम रिजेक्ट कर सकती है।

12. हेल्थ इंश्योरेंस रिजेक्ट होने के कारण

हेल्थ इंश्योरेंस रिजेक्ट होने के भी कई कारण हो सकते हैं जिनमें से कुछ प्रमुख कारणों की लिस्ट निम्नवत हैं।  

13. यदि बीमारी पहले से हो

आम तौर पर स्वास्थ्य बीमा योजना ऐसी कोई बीमारी को कवर नहीं करती है जो व्यक्ति को पालिसी शुरू होने से पहले से ही हो। इस स्थिति में यदि व्यक्ति को प्रीमियम भरे हुए लगातार चार वर्षों से अधिक का समय हो जाता है तो सभी नई एवं पुरानी बीमारियाँ कवर होती हैं। इसलिए बीमा पालिसी के शुरू होने से पहले यदि बीमारी घोषित नहीं की गई हो तो क्लेम रिजेक्ट हो सकता है।

14. पालिसी का स्थायी बहिष्करण

एक हेल्थ पालिसी उसके कामकाज के आधार पर थोड़ी जटिल हो सकती है विशेष तौर पर उनके लिए जिन बीमारियों को पालिसी में शामिल न किया गया हो। इसलिए हेल्थ पालिसी लेते वक्त व्यक्ति को यह सुनिश्चित करना चाहिए की वह किन बीमारियों, उपचारों, खर्चों इत्यादि को पालिसी के तहत कवर करवाना चाह रहा है।

इसके अलावा व्यक्ति को कवरेज के लिए प्रतीक्षा अवधि एवं विशेष रोग जो कवर नहीं किये गए हैं उनके बारे में भी पता होना चाहिए। यदि किसी ऐसे उपचार या बीमारी के तहत क्लेम किया जाता है जो कवर नहीं है तो बीमा कंपनी द्वारा क्लेम रिजेक्ट किया जा सकता है। इसके अलावा हेल्थ इंश्योरेंस रिजेक्ट होने के कुछ अन्य कारण जैसे फॉर्म अच्छे ढंग से न भरना, क्लेम में भरी गई राशि का कवर सीमा से अधिक होना, पालिसी रिन्यूअल में ब्रेक इत्यादि हैं।

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