How to Start Brokerage firm in India. इंडिया में ब्रोकरेज बिजनेस कैसे शुरू करें। #Storiesviewforall

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How to Start Brokerage firm in India. इंडिया में ब्रोकरेज बिजनेस कैसे शुरू करें। #Storiesviewforall

ऐसे लोग जो शेयर मार्किट में निवेश करते हैं उनके और एक्सचेंज के बीच Brokerage Firm काम करती हैं। सभी लोगों को अपने लिए कोई ऐसे इन्वेस्टमेंट चाहिए होते हैं जिनसे उन्हें अधिक रिटर्न प्राप्त हो । चूँकि स्टॉक मार्किट विभिन्न प्रकार के फाइनेंसियल इंस्ट्रुमेंट प्रदान करती है और कई बार सबसे बेहतर रिटर्न भी प्रदान करती हैं । स्टॉक मार्किट से अधिक रिटर्न प्राप्त करने की चाह में शेयर मार्किट में पैसे लगाने वाले लोगों की संख्या लगातार बढती जा रही है। और अच्छी बात यह है की भारतीय शेयर बाज़ार भी अब पूरी तरह डिजिटल स्वरूप में बदल गया है, यानिकी अब लोग घर बैठे ही ट्रेडिंग करने लगे हैं।

How to Start Brokerage firm in India
How to Start Brokerage firm in India

ऐसे में यह वक्त ब्रोकरेज फर्म शुरू करने के लिहाज से काफी फायदेमंद हो सकता है। यदि आप भी खुद की ब्रोकरेज फर्म शुरू करने के बारे में विचार कर रहे हैं। तो आपको इस बात की जानकारी होनी चाहिए की आप भारत में खुद की इस तरह की फर्म (Brokerage Firm) कैसे शुरू कर सकते हैं। लेकिन इससे पहले की हम इसे शुरू करने की प्रक्रिया के बारे में बात करें, आइये उससे पहले यह जान लेते हैं की इस तरह की यह फर्म होती क्या है।

ब्रोकरेज फर्म क्या होती है

स्टॉक मार्किट में निवेश करने के बारे में तो आप सभी जानते होंगे एक ब्रोकरेज फर्म शेयर खरीदने और शेयर बेचने वाले लोगों के बीच मध्यस्थता प्रदान करने का काम करती है। कहने का आशय यह है की शेयर मार्किट में पैसे लगाने वाले और अपने मौजूदा शेयरों को बेचने के लिए लोग ब्रोकरेज फर्म का सहारा लेते हैं ।

ब्रोकरेज फर्म हर लेन देन पर कमीशन प्राप्त कर रही होती हैं, और यही इनकी कमाई का मुख्य स्रोत होता है। इन ब्रोकरेज फर्म को लाइसेंसिंग इत्यादि देने का काम सिक्यूरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ़ इंडिया द्वारा किया जाता है । एक ब्रोकरेज फर्म किसी को अपनी फ्रैंचाइज़ी देने के लिए भी अधिकृत होती है।

ब्रोकरेज फर्म क्या काम करती हैं?

पहले भारत में ऐसे लोग जो स्टॉक मार्किट में पैसे लगाने के इच्छुक होते थे उन्हें शारीरिक रूप से स्टॉक एक्सचेंज के ऑफिस में उपस्थित होने की आवश्यकता होती थी। अधिकतर लोग शेयर मार्किट में पैसे कमाने और गँवाने को भाग्य से जुड़ा हुआ निर्णय मानते थे ।

लेकिन वर्ष 1993 में सेबी यानिकी सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ़ इंडिया ने डिजिटल ट्रेडिंग ओर रुख किया, जहाँ उसने नियम बनाये की शेयरों को रखने के लिए डीमैट अकाउंट खोलना अनिवार्य होगा।

सेबी की ओर से जारी सर्कुलर से स्टॉक मार्किट में डिजिटल ट्रेडिंग की शुरुआत हो गई थी, और इसी के परिणामस्वरूप डिजिटल ब्रोकरेज फर्मों का उदय हुआ।

सेबी ने भारत में ब्रोकरेज फर्म कैसे खोली जा सकती है, निवेशकों के प्रति इनकी क्या जिम्मेदारियाँ होंगी । और इन्हें किन किन नियमों का पालन करना होगा सभी नियम और शर्तों को बनाया।

एक ब्रोकरेज फर्म अपने ग्राहकों या ऐसे लोग जो स्टॉक मार्किट में निवेश करना चाहते हैं उन्हें अपने साथ जोड़कर उनका डीमैट अकाउंट खोलकर, उन्हें प्रतिभूति बाज़ार में निवेश करने में मदद करते हैं।

ब्रोकरेज फर्म अपने ग्राहकों को समय समय पर कौन सा स्टॉक खरीदना चाहिए, कौन सा स्टॉक कितना ऊपर जा सकता है इत्यादि तरह की सलाह भी देती हैं । और अपने ग्राहकों को प्रतिभूतियों को प्रभावी ढंग से खरीदने और उनके डीमैट एकाउंट्स का प्रबंधन भी करती हैं।

भारत में ब्रोकरेज फर्म के प्रकार

भारत में ब्रोकरेज फर्मों के कई प्रकार हो सकते हैं, इनमें से प्रमुख प्रकार निम्न हैं ।

फुल सर्विस ब्रोकर

इस तरह के ये स्टॉक ब्रोकर अपने ग्राहकों को स्टॉक मार्किट से सम्बंधित व्यापक सेवाएँ और सलाह भी प्रदान करते हैं । वे अपने ग्राहकों को कई ऐसे इनसाइट्स प्रदान करते हैं जिससे उनके ग्राहक इस बात का फैसला ले सकें की उन्हें किस स्टॉक में कितना निवेश करना चाहिए।

इस तरह के ब्रोकर की फीस ग्राहकों द्वारा की जाने वाली कुल ट्रेड की मात्रा और वैल्यू पर निर्भर करती है। इस तरह के ये ब्रोकर बाज़ार में अच्छी तरह से स्थापित और बड़े खिलाडी होते हैं, जिनकी देश भर में  कई शाखाएं होती हैं।

डिस्काउंट ब्रोकर्स

इस तरह के इन ब्रोकर की फीस फुल सर्विस ब्रोकर की तुलना में कम होती है। वह इसलिए क्योंकि यह अपने ग्राहकों को बाज़ार में चल रहे ट्रेंड्स और रिसर्च के मुताबिक निवेश सलाह और उपलब्ध अवसरों की जानकारी नहीं प्रदान करते हैं। और इस तरह के ये ब्रोकर अपने ग्राहकों या निवेशकों से लेन देन करने के बदले एक निश्चित शुल्क वसूलते हैं।

फ्लैट चार्ज करने वाले ब्रोकर

इस तरह के इन ब्रोकर को आप दोनों ब्रोकर्स का मिश्रण कह सकते हैं । ये एक फ्लैट फीस लेकर ग्राहकों और निवेशकों को स्टॉक मार्किट में निवेश करने में मदद कर रहे होते हैं। आज के इस डिजिटल ट्रेडिंग सिस्टम में इसी तरह के ब्रोकर काफी लोकप्रिय हो रहे हैं ।

भारत में ब्रोकरेज फर्म कैसे शुरू करें (How to Start Brokerage Firm in India)

कोई भी व्यक्ति जो भारत में खुद का ब्रोकरेज फर्म शुरू करना चाहता हो, उसे कम से कम यह पता तो होना हो चाहिए की ब्रोकरेज फर्म होती क्या है? जैसा की हम पहले भी बता चुके हैं की ब्रोकरेज फर्म चाहें तो अपनी फ्रैंचाइज़ी भी खोल सकते हैं ।

ऐसे में इस तरह का यह बिजनेस शुरू करने के इच्छुक उद्यमी को इस बात का भी निर्णय लेना होता है की वह किस तरह की ब्रोकरेज फर्म शुरू करना चाहता है। सिर्फ इतना ही नहीं और भी कई ऐसे कदम हैं जो इस तरह का यह बिजनेस शुरू करने के लिए उठाने पड़ते हैं।

ब्रोकरेज फर्म के प्रकार का निर्णय लें

इसमें कोई दो राय नहीं की स्टॉक मार्किट का पूरा ट्रेडिंग सिस्टम ऑनलाइन हो गया है। लेकिन आज भी इस तरह का यह बिजनेस ब्रोकर और सब ब्रोकर में बंटा हुआ है। एक ब्रोकर को सीधे सेबी से लाइसेंस प्राप्त हुआ होता है जबकि सब ब्रोकर किसी लाइसेंस प्राप्त ब्रोकर द्वारा नियुक्त किये जाते हैं।

कहने का आशय यह है की एक ब्रोकर जिसे अपनी फ्रैंचाइज़ी प्रदान करता है उसे उस ब्रोकर का सब ब्रोकर कहा जा सकता है। सब ब्रोकर बहुत ज्यादा लाइसेंस, पंजीकरण और नियमों में पड़ने का झंझट नहीं रहता है, क्योंकि वह किसी ब्रोकर के एजेंट के तौर पर काम कर रहा होता है।

ऐसे में यदि आप भी खुद की Brokerage Firm शुरू करना चाहते हैं सबसे पहले आपको इसी बात का निर्णय लेना होगा की आप इस बिजनेस को कैसे शुरू करना चाहते हैं।

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खर्चे का आकलन करें

जब आप इस बात का निर्णय ले लेते हैं की आपको खुद की ब्रोकरेज फर्म शुरू करनी है या फिर पहले से स्थापित कोई प्रसिद्ध ब्रोकरेज फर्म की फ्रैंचाइज़ी लेनी है । तो उसके बाद इस बिजनेस को शुरू करने के लिए आपका अगला कदम खर्चे का आकलन करने का होना चाहिए।

इसमें ऑफिस, रजिस्ट्रेशन फ्रैंचाइज़ी शुल्क, एक्सचेंज शुल्क इत्यादि सब कुछ का अच्छे ढंग से आकलन होना आवश्यक है। यदि उद्यमी फ्रैंचाइज़ी मॉडल के तहत यह बिजनेस कर रहा है तो उसे बहुत ज्यादा लाइसेंस और पंजीकरण की आवश्यकता नहीं होती है।

क्योंकि जिस कंपनी की फ्रैंचाइज़ी लेकर वह काम कर रहा होता है उस कंपनी के पास सभी जरुरी लाइसेंस और पंजीकरण पहले से मौजूद होते हैं। लेकिन इसके लिए उद्यमी को कुछ फ्रैंचाइज़ी शुल्क अलग से उस कंपनी को देने की आवश्यकता होती है।

हाँ यदि उद्यमी खुद की ब्रोकरेज फर्म शुरू करना चाहता है तो फिर उसे फ्रैंचाइज़ी मॉडल की तुलना में ज्यादा पैसों की आवश्यकता होगी। क्योंकि एक्सचेंज से लाइसेंस इत्यादि प्राप्त करने की प्रक्रिया में उद्यमी को एक्सचेंज के पास एक निश्चित राशि जमा करने की आवश्यकता होती है।

इसलिए खर्चे का आकलन करने में कोई भी खर्चा छूटना नहीं चाहिए। अन्यथा उद्यमी की बिजनेस प्लानिंग डगमगा सकती है।

पैसों का प्रबंध करें

पैसा बिजनेस के रक्त की तरह होता है, बिजनेस तभी तक चलता है जब तक उसमें पैसा निहित होता है। कहने का आशय यह है की अपने बिजनेस को जीवंत स्वरूप प्रदान करने के लिए आपको पैसा रुपी रक्त की आवश्यकता होती है।

वित्त का प्रबंध करने के लिए कई तरीके अपनाये जा सकते हैं। अधिकतर उद्यमी सबसे पहले अपना बिजनेस शुरू करने के लिए अपनी बचत पर नजर डालते हैं। और जब उन्हें लगता है की उनके पास पर्याप्त बचत है तभी वह इस तरह का यह बिजनेस शुरू करने के लिए आगे कदम बढाते हैं।

वर्तमान में भारत में अधिकतर स्टार्टअप पार्टनरशिप में शुरू किया जाते हैं, पार्टनरशिप का सबसे बड़ा फायदा यह होता है की इसमें जोखिम का बँटवारा हो जाता है। और एक दिमाग के बजाय दो या इससे अधिक दिमाग बिजनेस की तरक्की के बारे में सोच रहे होते हैं।

यदि आपके पास भी खुद की Brokerage Firm शुरू करने के लिए पैसों की कमी हो रही है, तो आप कोई पार्टनर ढूंढ सकते हैं। इसके अलावा बैंक और गैर बैंकिंग वित्तीय संस्थानों से बिजनेस के लिए लोन भी ले सकते हैं।

इतना ही नहीं एंजेल इन्वेस्टर, क्राउड फंडिंग जैसे माध्यमों से भी अपने बिजनेस के लिए वित्त की व्यवस्था कर सकते हैं ।

ऑफिस के लिए जगह का प्रबंध करें

उसके बाद उद्यमी को एक ऑफिस स्थापित करने की आवश्यकता होती है । एक ऐसा ऑफिस जहाँ से आप अपने ग्राहकों के बीहाफ पर स्टॉक मार्किट में ऑनलाइन सौदेबाजी कर सकें। और किसी प्रकार की आवश्यकता पड़ने पर आपके ग्राहक या निवेशक आपके ऑफिस में आकर अपनी समस्या का निवारण कर सकें ।

सिर्फ इसी लिए नहीं बल्कि किसी भी बिजनेस का एक निश्चित पता होना आवश्यक है । इसलिए विभिन्न प्रकार के लाइसेंस और पंजीकरण प्राप्त करने के लिए भी आपके पास खुद का ऑफिस होना आवश्यक है।

ऑफिस का किराया कितना होगा वह इस बात पर निर्भर करता है की उद्यमी किस लोकेशन पर कितना बड़ा ऑफिस किराये पर ले रहा है । एक कमर्शियल बिल्डिंग में बना बनाया ऑफिस का किराया आम बिल्डिंग की तुलना में थोड़ा महंगा हो सकता है।

फ्रैंचाइज़ी मॉडल की तुलना में खुद की ब्रोकरेज फर्म शुरू करने के लिए बड़े ऑफिस की आवश्यकता होती है। शुरूआती दौर में उद्यमी को केवल एक ऑफिस से ही इस तरह के बिजनेस की शुरुआत करनी चाहिए। सारा ट्रेडिंग सिस्टम ऑनलाइन होने की वजह से एक ऑफिस से भी कई ग्राहकों को आसानी से संभाला जा सकता है।

लाइसेंस और रजिस्ट्रेशन प्राप्त करें

यदि आप किसी स्थापित ब्रोकरेज फर्म की फ्रैंचाइज़ी लेकर खुद का यह बिजनेस शुरू करते हैं, तो आपको फ्रैंचाइज़ी के तौर पर कुछ ही लाइसेंस और पंजीकरण की आवश्यकता होती है। लेकिन यदि आप खुद की ही फुल सर्विस वाली ब्रोकरेज फर्म शुरू करते हैं तो आपको निम्नलिखित लाइसेंस और पंजीकरण कराने की आवश्यकता हो सकती है।

  • सबसे पहले आपको अपने बिजनेस का रजिस्ट्रेशन कराने की आवश्यकता होती है, जिसे आप चाहें तो प्रोप्राइटरशिप फर्म, वन पर्सन कंपनी, पार्टनरशिप फर्म, प्राइवेट लिमिटेड कंपनी इत्यादि में से किसी एक के तहत रजिस्टर कर सकते हैं ।
  • भारत में एक रजिस्टर्ड व्यवसायिक फर्म के पास व्यवसाय के नाम से पैन कार्ड होना आवश्यक है। इसके अलावा उद्यमी को व्यवसाय के नाम से चालू खाता खोलने की भी आवश्यकता होगी।
  • कर पंजीकरण के तौर पर जीएसटी रजिस्ट्रेशन कराना पड़ सकता है ।
  • सिक्योरिटीज एक्सचेंज बोर्ड ऑफ़ इंडिया (सेबी) से रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट प्राप्त करना होता है।
  • स्टॉक एक्सचेंज से भी अप्रूवल एवं परमिशन की आवश्यकता होती है।
  • जहाँ पर ऑफिस स्थापित कर रहे हैं वहाँ के स्थानीय प्राधिकरण जैसे नगर निगम, नगर पालिका इत्यादि से ट्रेड लाइसेंस की भी आवश्यकता हो सकती है।

यहाँ पर ध्यान देने वाली बात यह है की स्टॉक एक्सचेंज और इसके लेन देन इत्यादि गतिविधियों को विनियमित करने की जिम्मेदारी (सेबी) की है । और इसके लिए सेबी द्वारा कई तरह के नियम और प्रावधान तय किये गए हैं, जिनका उल्लंघन करने पर किसी ब्रोकरेज फर्म को पेनल्टी भी लग सकती है ।

जरुरी स्टाफ नियुक्त करें

लाइसेंस और रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया पूर्ण होने के बाद उद्यमी वैधानिक रूप से बिजनेस करने के लिए अधिकृत हो जाता है। अब उद्यमी का अगला कदम अपनी कंपनी के लिए उपयुक्त स्टाफ को हायर करने का होना चाहिए।

उद्यमी को शुरूआती दौर में तीन चार स्टाफ ऐसा चाहिए होता है जो क्लाइंट के बीहाफ पर सिस्टम में सौदे मार सके। इसके अलावा ऑफिस बॉय, रिसेप्शनिस्ट, मेनेजर इत्यादि भी हायर करने की आवश्यकता हो सकती है।

बैक ऑफिस का काम देखने के लिए कम से कम एक ऐसा व्यक्ति हायर करने की जरुरत हो सकती है जो एच आर और अकाउंट का काम देख सके। हालांकि उद्यमी को कितने कर्मचारियों की आवश्यकता होगी यह उद्यमी के बिजनेस के आकार पर निर्भर करेगा ।

लेकिन शुरूआती दौर में उद्यमी को अपनी ब्रोकरेज फर्म में कुछ अनुभवी और कुछ फ्रेशर स्टाफ का समावेश रखना आवश्यक हो जाता है। फ्रेशर में जहाँ काम करने का जोश होता है, वहीँ अनुभवी लोग अपने अनुभव से जटिल से जटिल समस्या को भी हल कर सकते हैं।

ग्राहक बनाएँ और कमाएँ

उद्यमी अपनी ब्रोकरेज फर्म से तभी पैसे कमा पायेगा, जब उसके पास स्टॉक मार्किट में पैसे लगाने वाल ग्राहक मौजूद होंगे। इसमें कोई दो राय नहीं की आज के दौर में शेयर मार्किट से पैसे कमाने के बारे में हर कोई जानता है।

लेकिन अपनी ब्रोकरेज फर्म को सफल बनाने के लिए आपको कुछ बड़े क्लाइंट की आवश्यकता हो सकती है । जो एक दिन में करोड़ों रूपये की ट्रेडिंग शेयर मार्किट में करते हों।

ग्राहक बनाने के लिए आप अलग सी सेल्स टीम या फिर डिजिटल मार्केटिंग टीम का गठन कर सकते हैं। जिनका काम ऑनलाइन ऑफलाइन तरीकों के माध्यम से नए ग्राहकों को कंपनी के साथ जोड़ना होगा। इसमें ध्यान देने वाली बात यह है की सिर्फ कस्टमर बना लेने से आपकी Brokerage Firm सफल होने वाली नहीं है ।

बल्कि ऐसे ग्राहक जो नियमित तौर पर ट्रेडिंग करते हों, वे आपकी फर्म के लिए ज्यादा फायदेमंद साबित हो सकते हैं।

अपनी ब्रोकरेज फर्म को सफल कैसे बनाएँ

यह तो हम पहले भी बता चुके हैं की वर्तमान में सभी निवेशकों द्वारा ऑनलाइन ट्रेडिंग की जा रही है। लेकिन बहुत सारे बड़े इन्वेस्टर ऐसे होते हैं जो आज भी अपना पैसा शेयर मार्किट में इन्वेस्ट करने से पहले किसी ब्रोकरेज कंपनी की सलाह लेकर उसी के माध्यम से शेयर मार्किट में अपना पैसा लगाते हैं।

कहने का आशय यह है की वे खुद अपना टडीमैट अकाउंट ऑपरेट नहीं करते, बल्कि उन्हें कुछ भी खरीदना और बेचना होता है तो वे ब्रोकरेज फर्म में कार्यरत कर्मचारी को फोन करते हैं। ताकि वह उनके बीहाफ पर सौदे कर सके।

लेकिन भारत में एक बड़ा वर्ग ऐसा भी है जो खुद अपने मोबाइल फ़ोन में किसी ब्रोकरेज फर्म की एप्प इंस्टाल करके ट्रेडिंग करने में विश्वास करता है ।

इसलिए यदि आप इस तरह की ऑडियंस को अपने कस्टमर में परिवर्तित करना चाहते हैं, तो आपको अपनी खुद की एक एप्प बनानी होगी, जो आपके ग्राहकों को उनके फोन से ही ट्रेडिंग करने की सुविधा प्रदान कर सके।

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FAQ (सवाल/जवाब)

ब्रोकरेज फर्म क्या होती है?

एक ऐसी फर्म जो स्टॉक मार्किट में निवेश करने वाले ग्राहकों का डीमैट अकाउंट का प्रबंधन, उन्हें निवेश के अवसरों और उनके बीहाफ से सौदे करती है उसे ब्रोकरेज फर्म कहा जाता है।

वर्तमान में भारत में प्रसिद्ध ब्रोकर फर्म कौन कौन सी हैं?

जैसा की हमने बताया वर्तमान में एप्प बेस्ड ब्रोकर काफी फेमस हैं इनमें जीरोधा, ग्रो, एंजेल वन, अपस्टॉक, आईसीआईसीआई डायरेक्ट, एचडीएफसी सिक्यूरिटीज, कोटक सिक्यूरिटीज जैसी कई कंपनियां प्रसिद्ध हैं।

हाँ तो दोस्तों आशा करते हैं की हमारे द्वारा लिखित Brokerage Firm खोलने की प्रक्रिया पर लिखा यह लेख आपने अंत तक अवश्य पढ़ा होगा। और अब अप समझ गए होंगे की यदि कोई इच्छूक व्यक्ति भारत में खुद की ब्रोकरेज कंपनी शुरू करना चाहता है, तो वह यह कैसे कर सकता है।

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